सोमवार, 25 मई 2015

नीयत जिसी बरकत....

नीयत जिसी बरकत!

 अच्छे दिन आने वाले हैं, आयेंगे , आ गये! खूब जुमले उछले. अनगिनत चुटकुले भी बने इस पर.
हालाँकि सकारात्मक सोच आजकल उपचार की विधि के रूप में प्रचलित है जो यह कहती है कि आप जो चाहते हैं वही पाते हैं. जैसा सोचते हैं वही बन जाते हैं!
हमारे घरों में घुट्टी की तरह पिलाई जाती रही कि कभी घर में कुछ माँगने पर यह मत कहना कि नहीं है, खत्म हो गई. यही कहना है कि अभी लाते है, अभी आ जायेगी.
बुजुर्ग स्त्रियाँ बहुत खिझती रहीं कि आजकल की बहू बेटियों को देखो - झट कह देंगी कि नहीं है, हैसियत नहीं है आदि आदि. हमने तो कभी ना नहीं कही इसलिये इतनी कम कमाई में भी गुजारा होता रहा. इनके पास सब होते भी नहीं ही रहती है. कोई घर से भूखा नहीं गया. जैसी इनकी नियत वैसी ही बरकत!