सोमवार, 25 मई 2015

नीयत जिसी बरकत....

नीयत जिसी बरकत!

 अच्छे दिन आने वाले हैं, आयेंगे , आ गये! खूब जुमले उछले. अनगिनत चुटकुले भी बने इस पर.
हालाँकि सकारात्मक सोच आजकल उपचार की विधि के रूप में प्रचलित है जो यह कहती है कि आप जो चाहते हैं वही पाते हैं. जैसा सोचते हैं वही बन जाते हैं!
हमारे घरों में घुट्टी की तरह पिलाई जाती रही कि कभी घर में कुछ माँगने पर यह मत कहना कि नहीं है, खत्म हो गई. यही कहना है कि अभी लाते है, अभी आ जायेगी.
बुजुर्ग स्त्रियाँ बहुत खिझती रहीं कि आजकल की बहू बेटियों को देखो - झट कह देंगी कि नहीं है, हैसियत नहीं है आदि आदि. हमने तो कभी ना नहीं कही इसलिये इतनी कम कमाई में भी गुजारा होता रहा. इनके पास सब होते भी नहीं ही रहती है. कोई घर से भूखा नहीं गया. जैसी इनकी नियत वैसी ही बरकत!

11 टिप्‍पणियां:

  1. नीयत जैसी बरक़त!! सटीक सत्य।। अपनी ही थाली में नाकारात्मक छेद करोगे तो दाल का गिर जाना निश्चित है। जैसी दृष्टि वैसी ही सृष्टि बनते चली जाती है। अपने ही सौभाग्य का मज़ाक उड़ाओगे, भाग्य आपके साथ मज़ाक करके चला जाएगा।
    वस्तुतः गम्भीरता से मनन करना चाहिए। 'अच्छेदिन' राजनैतिक लाभ खांटने के लिए नहीं बल्कि जन जन के लिए है। हमारे अपने लिए है। यदि हम अपने ही शुभदिनों का कुटिलता से परिहास करेंगे तो शायद वे अच्छे दिन आकर भी गुजर जाए और हम विदूषक बने देखते ही रह जाय्।

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  2. जैसी इनकी नियत वैसी ही बरकत....सच बात!!

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  3. बहुत ही शानदार रचना।

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  4. बहुत ही शानदार रचना।

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  5. सच ही है हरकत नहीं तो बरकत नहीं

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  6. सच ही कहाँ हैं आपने .....................
    http://savanxxx.blogspot.in

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  7. सच है इंसान की सोच पर ही सब निर्भर है...

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  8. सच है इंसान की सोच पर ही सब निर्भर है...

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  9. सही है जैसे जिसकी नीयत वैसे ही बरकत

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